Posts

Showing posts from November, 2023

आध्यात्मिक उन्नति के लिए ये सबसे सहज उपाय है।

Image
आध्यात्मिक उन्नति के लिए ये सबसे सहज उपाय है। शिवयोग की प्रतिप्रसव साधना ऐसी साधना है जिससे मनुष्य अपने पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति ही नहीं बल्कि इस जन्म में आध्यात्मिक उन्नति को भी प्राप्त कर सकता है। हमारे सिद्धों ने जिस आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करने के लिए कई सौ वर्षों तक साधना करने के बाद प्राप्त किया है, उसे मौजूदा समय में हम कुछ ही दिनों की प्रतिप्रसव साधना से प्राप्त कर सकते हैं। कुछ ही दिनों की साधना के बाद आप देखेंगे कि आपके अंदर एक अलग प्रकार का व्यक्तित्व का उदय हुआ है। इस दौरान जो भी पूर्व जन्म को लेकर आपके मन में विचार होंगे और जो नहीं भी हैं, उन सबका जवाब आपको इसी प्रतिप्रसव साधना के माध्यम से मिल जाएगा। शास्त्रों को तो हम-सब ने ही पढ़ा और सुना भी है। शास्त्रों की घटनाएं सुनकर अच्छा भी बहुत लगता है। जब वही घटनाएं अपने जीवन में अप्रत्यक्ष रूप से अनुभव कर लोगे तो आध्यात्मिक उन्नति इतनी ज्यादा होगी, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं। शिवयोग के साधकों को प्रतिप्रसव साधना जरूर करनी चाहिए। Shivyog Intensive Prati Prasav Sadhna Webinar - Registration Open Click here to registe...

ध्यान पद्धति में सामूहिक चेतना के क्या मायने हैं?

Image
  ध्यान पद्धति में सामूहिक चेतना के क्या मायने हैं? जब हम शरीर की चेतना से ऊपर उठकर दूसरों की मदद करने के लिए अग्रसर रहने लगते हैं या दूसरों के कल्याण की बात सोचने लगते हैं, तब हम उस अवस्था में सामूहिक चेतना में प्रवेश करने लगते हैं। इस अवस्था तक पहुंचने का एक मात्र रास्ता शिवयोग में बताया गया है। साधक जब शिवयोग की सिद्ध ध्यान-साधनाओं को अपने जीवन में अपनाकर अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा लेता है, तभी वह ब्रह्माण्ड के रहस्यों को अच्छे से समझ पाता है। तब उस अवस्था में उसे ज्ञात होता है कि आत्मा इस सृष्टि में बार-बार जन्म क्यों लेती है। हमारा कौन सा लक्ष्य अधूरा रह गया है, जिसकी पूर्ति के लिए हमारी आत्मा को बार-बार इस पृथ्वी पर आना पड़ रहा है। जिसे हम साधारण भाषा में कालचक्र भी कहते हैं। इस कालचक्र से मुक्ति के लिए ही साधक को शिवयोग की ध्यान-साधना को अपने जीवन में स्वीकार करना चाहिए। जो साधक ऐसा करके अपनी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा लेता है और कर्म के बंधन से स्वयं को मुक्त कर लेता है, तब उसे इस कालचक्र से मुक्त होने का मार्ग स्वतः ही दिख जाता है। Yoga of Immortals   #shivyogwisdom ...

सुपात्र होना क्यों जरूरी है?

Image
  सुपात्र होना क्यों जरूरी है? शिवयोग का पालन करने वाले व्यक्ति को प्रकृति से असीमित शक्तियां प्राप्त होती हैं। इसका उदाहरण भगवान बुद्ध से बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता है। भगवान बुद्ध ऐसे सिद्ध थे, जो जहां भी जाते थे वहां के लोगों के कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते थे। जिस स्थान पर बुद्ध के चरण पड़ जाते थे वहां एक अलग प्रकार की शांति का अनुभव लोगों को होता था। क्योंकि शिवयोग के मार्ग पर चलकर भगवान बुद्ध को प्रकृति से शक्तियां प्राप्त थी। बुद्ध ने अपने आपको ध्यान-साधना का मार्ग अपनाकर स्वयं को इसके लिए सुपात्र बनाया था। इसी के साथ दूसरा उदाहरण भगवान परशुराम का है, जो एक अवधूत के कहने पर भगवान दत्त के पास गए और उनसे उनका शिष्य बनने का आग्रह किया। तब भगवान दत्त ने उन्हें शिवयोग योग धर्म की शिक्षा देकर सुपात्र बनाया। ताकि उनको शिवयोग की असीमित शक्तियां प्राप्त हो सकें और जिस शांति की खोज के लिए वह भटक रहे हैं, उनके उस लक्ष्य की पूर्ति हो सके। शिवयोग की ध्यान-साधना ऐसी क्रियाएं हैं जिनको अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है और परम आनंद की प्राप्ति कर सकता है। Yoga of Immortals   #shivyo...

अनकंडीशनल लव से जीवन में क्या मिलता है?

Image
अनकंडीशनल लव से जीवन में क्या मिलता है? हमारे पूज्य बाबा जी, डाॅ.अवधूत शिवानंद जी ने अपने जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुभव अपने साधकों के साथ शेयर किया। उनके जीवन का यह अनुभव है जीवन से निराश और हताश व्यक्तियों के लिए रामबाण औषधि के समान है। बाबा जी बताते हैं कि उन्होंने जीवन में बहुत सी साधनाएं करी और उनसे शक्तियां और सिद्धियां भी प्राप्त करी। इसके बावजूद उन्हें इस संसार में अगर कोई सबसे ज्यादा शक्तिशाली शक्ति लगी तो वह थी अनकंडीशनल लव, क्योंकि यह वह शक्ति है जो हमें जीवन में उपलब्धियां प्रदान करती हैं और जब हमारे जीवन में उपलब्धियां आने लगती हैं तो हमारे जीवन से निराशा और हताशा स्वतः ही खत्म होती जाती है। इसके बाद हम एक नए खुशहाल जीवन का निर्माण करते हैं और जीवन में सदैव पूर्णता का आभास होता रहता है। इस शक्ति को प्राप्त करने के लिए कोई तप या साधना करने की जरूरत नहीं है। बस व्यक्ति को अपने मन में सदैव धन्यवाद का भाव रखना होगा। जब हमारे मन में यह भाव आ जाएगा तब हम स्थान, जीव और वनस्पति आदि के प्रति मैत्री और प्रेम का भाव रखने लगेंगे। यह भाव हमें आदि से अनंत तक पहुंचाने का सामर्थ्य र...