सुपात्र होना क्यों जरूरी है?

 


सुपात्र होना क्यों जरूरी है?

शिवयोग का पालन करने वाले व्यक्ति को प्रकृति से असीमित शक्तियां प्राप्त होती हैं। इसका उदाहरण भगवान बुद्ध से बढ़कर और कुछ नहीं हो सकता है। भगवान बुद्ध ऐसे सिद्ध थे, जो जहां भी जाते थे वहां के लोगों के कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते थे। जिस स्थान पर बुद्ध के चरण पड़ जाते थे वहां एक अलग प्रकार की शांति का अनुभव लोगों को होता था। क्योंकि शिवयोग के मार्ग पर चलकर भगवान बुद्ध को प्रकृति से शक्तियां प्राप्त थी। बुद्ध ने अपने आपको ध्यान-साधना का मार्ग अपनाकर स्वयं को इसके लिए सुपात्र बनाया था। इसी के साथ दूसरा उदाहरण भगवान परशुराम का है, जो एक अवधूत के कहने पर भगवान दत्त के पास गए और उनसे उनका शिष्य बनने का आग्रह किया। तब भगवान दत्त ने उन्हें शिवयोग योग धर्म की शिक्षा देकर सुपात्र बनाया। ताकि उनको शिवयोग की असीमित शक्तियां प्राप्त हो सकें और जिस शांति की खोज के लिए वह भटक रहे हैं, उनके उस लक्ष्य की पूर्ति हो सके। शिवयोग की ध्यान-साधना ऐसी क्रियाएं हैं जिनको अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन को बदल सकता है और परम आनंद की प्राप्ति कर सकता है।

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