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Showing posts from February, 2023

जीवन में आत्मविश्वास क्यों जरूरी है?

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जीवन में आत्मविश्वास क्यों जरूरी है? आत्मविश्वास एक आध्यात्मिक शक्ति है, जिसकी हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका है। जिस व्यक्ति का काॅन्फिडेंस लेवल अच्छा होता है, वह जीवन में निरंतर उन्नति करता है क्योंकि हमारा आत्मविश्वास ही हमें अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए अग्रसर करता है। जिस व्यक्ति का काॅन्फिडेंस लेवल कम होता है वह व्यक्ति अंदर से बहुत ही कमजोर हो जाता है। इसके परिणाम स्वरूप वह व्यक्ति सदैव जीवन में अपने भविष्य के प्रति चिंतित रहता है। ऐसे लोग कभी भी जीवन में लक्ष्य के अनरूप आत्मबल एकत्र नहीं कर पाते हैं। इसलिए कहा गया है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए या उन्नति करने के लिए व्यक्ति का काॅन्फिडेंस लेवल अच्छा होना बहुत जरूरी है। अगर व्यक्ति की सफलता में कोई कठिनाई या परेशानी भी आ रही है तो व्यक्ति का आत्मविश्वास उसे उन समस्याओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। यह आत्मविश्वास या दूसरे शब्दों में कहें तो "आत्मबल" हमें ध्यान और साधना से ही प्राप्त हो सकता है। हमारे अंतर की नकारात्मकता हमारी सृजन शक्ति, हमारे गुणों, हमारी योग्यता को ढंक देती है और जब हम साधना करत...

Make your life successful with managing conflicting emotions || Yoga of Immortals || Ishan Shivanand

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    Make your life successful with managing conflicting emotions ||  Yoga of Immortals  ||  Ishan Shivanand We often have conflicting thoughts. There is a battle between our minds and hearts regarding ways to approach a situation, react and solve it. These conflicts are a major reason for family discord, disharmony, bad health, unsound mind, improper decision making and all problems in life. The reason behind us having conflicting thoughts is that we do not know what we want. We have not been taught the art of creation and the law of attraction. So, we just go with the flow. If we do not make conscious efforts to clear our minds of all etheric debris and control our minds to  #focus  on our  #goals , our life will be a mess. Our  #relationships  will be chaotic. Stress will be paramount in our lives. Conflict is destructive and leads to lower productivity and results. To heal this, we must not aim at eliminating conflict. Instead, we mus...

जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति के लिए क्या करें?

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जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्ति के लिए क्या करें? अध्यात्म में हमें हमारे जीवन का एक मूल उद्देश्य बताया गया है। जिसकी पूर्ति करने के लिए हम न जाने कितने वर्षों से इस संसार में जन्म ले रहे हैं और मर रहे हैं। क्योंकि हम जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लेते हैं, उसकी पूर्ति न कर इधर-उधर सांसारिक माया-जाल में फंस कर रह जाते हैं। इतना ही नहीं सांसारिक मोह-माया में फंसकर हम दूसरों को जाने-अनजाने में कष्ट भी पहुंचाते हैं। जो हमारे संचित कर्म बनकर हर जन्म में उसका भोग करने के लिए बाध्य करते हैं। शिवयोग बताता है कि हमारा जन्म दूसरों को कष्ट पहुंचाने के लिए नहीं हुआ है। हमारा जन्म तो उस परमेश्वर को प्राप्त करने के लिए हुआ है, जिसका हम सब एक अंश हैं। यही बात हम इस भौतिक संसार में आने के बाद भूल जाते हैं। जिससे अपने मूल उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाते हैं। जो व्यक्ति इस बात को समझ लेता है वह आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलकर ईश्वर की प्राप्ति कर जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। Yoga of Immortals #sefrealization #mentelhealth #awareness #spirituality #motivation

योगा ऑफ इम्मोर्टल्स क्यों जरूरी है?

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  योगा ऑफ इम्मोर्टल्स क्यों जरूरी है? जीवन में हम योगा ऑफ इम्मोर्टल्स की शक्ति व ज्ञान के माध्मय से अपना जीवन बदल सकते हैं। क्योंकि इस साधना से प्राप्त होने वाली शक्ति हमारे कण-कण में प्रवाहित हो जाती है, जिसके बाद हम महसूस करते हैं कि हमारे अंदर एक शक्ति जागृत हो चुकी है। यही शक्ति हमारे शरीर में स्वास्थ्य लेकर आएगी और हमारे जीवन को बदल देगी। क्योंकि बदलाव तो प्रकृति का नियम है और हम बदलते आए हैं और आगे भी बदलते रहेंगे। इसलिए शिवयोग में कहा गया कि बदलना तो है ही। यह बदलाव पतन भी हो सकता है या फिर विकास। तो क्यों न हम इस साधना के मार्ग पर चलकर अपने आपको विकसित कर लें और पतन होने से अपने आपको बचा लें। क्योंकि योगा ऑफ इम्मोर्टल्स के प्रोटोकाॅल को अपने जीवन में अपनाकर हम अपने शरीर, भाग्य, मन और अपने स्वास्थ्य को अपने उद्देश्य के अनुसार बदल सकते हैं। Yoga of Immortals #shivyogwisdom #transformation #mentalhealth #physicalhealth #happiness #successmindset #ishanshivanand

सच्चा आस्तिक कौन है?

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  सच्चा आस्तिक कौन है?  असल में आस्तिक और नास्तिक में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता है। समाज में कुछ ही प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जो खुलकर मानते हैं कि वे नास्तिक हैं, नहीं तो ज्यादातर लोग अपने आप को आस्तिक ही मानते हैं। यहां पर सवाल यह उठता है कि जो लोग अपने को आस्तिक मानते हैं वह वास्तव में आस्तिक हैं भी या उनके मन में मात्र यह भ्रम बना हुआ है कि वह आस्तिक हैं? इस बात का पता आप बहुत ही आसानी से लगा सकते हैं कि आप आस्तिक हैं कि नहीं। अब आपको खुद से सवाल करना होगा कि क्या मैं आस्तिक हूं? क्या मैं ईश्वर के अस्तिव को मानता हूं? अधिकांशतः इसका जवाब सहज यही होगा कि, हां मैं ईश्वर के अस्तित्व को मानता हूं। तो इसका अर्थ है कि आप गलत कर्म नहीं करते होंगे! यदि आप करते हैं, तो फिर आप ईश्वर के अस्तित्व को कहां मानते हैं? क्योंकि जो व्यक्ति कण कण में ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करता है वह उनके समक्ष गलत कर्म करने का दुस्साहस ही नहीं करेगा। वह भले ही कष्टों और समस्याओं से घिरा हो फिर भी उसकी भावना ईश्वर पर ही समर्पित होती है। ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में सच्चा आस्तिक होता है। #yogaofImmorta...