सच्चा आस्तिक कौन है?

 

सच्चा आस्तिक कौन है? 

असल में आस्तिक और नास्तिक में कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता है। समाज में कुछ ही प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जो खुलकर मानते हैं कि वे नास्तिक हैं, नहीं तो ज्यादातर लोग अपने आप को आस्तिक ही मानते हैं। यहां पर सवाल यह उठता है कि जो लोग अपने को आस्तिक मानते हैं वह वास्तव में आस्तिक हैं भी या उनके मन में मात्र यह भ्रम बना हुआ है कि वह आस्तिक हैं? इस बात का पता आप बहुत ही आसानी से लगा सकते हैं कि आप आस्तिक हैं कि नहीं। अब आपको खुद से सवाल करना होगा कि क्या मैं आस्तिक हूं? क्या मैं ईश्वर के अस्तिव को मानता हूं? अधिकांशतः इसका जवाब सहज यही होगा कि, हां मैं ईश्वर के अस्तित्व को मानता हूं। तो इसका अर्थ है कि आप गलत कर्म नहीं करते होंगे! यदि आप करते हैं, तो फिर आप ईश्वर के अस्तित्व को कहां मानते हैं? क्योंकि जो व्यक्ति कण कण में ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करता है वह उनके समक्ष गलत कर्म करने का दुस्साहस ही नहीं करेगा। वह भले ही कष्टों और समस्याओं से घिरा हो फिर भी उसकी भावना ईश्वर पर ही समर्पित होती है। ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में सच्चा आस्तिक होता है।

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