क्या रोगमुक्त जीवन स्वयं के हाथ में है?
क्या रोगमुक्त जीवन स्वयं के हाथ में है?
आज के दौर में व्यक्ति बीमारियों से परेशान है। आखिरकार यह बीमारियां हमारे जीवन में आती क्यों हैं या यूं कहें कि इन बीमारियों का जन्म हमारे शरीर में कैसे होता है? क्या आप जानते हैं, यदि नहीं, तो जान लीजिए क्योंकि यह जानकारी आपके जीवन में बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। दरअसल, हमारे जीवन में बीमारी के पीछे हमारे भाव छिपे होते हैं। यदि हमारे मन में कोई विकार अर्थात बुरे विचार, गलत धारणाएं, दुःख और शोक मौजूद रहते हैं तो यह विकार हमारे शरीर में स्थान बना लेते हैं और इन विकारों का प्रभाव हमारे भावनात्मक स्तर पर पड़ता है! इसके बाद जब हमारी भावनात्मक स्थिति और शारीरिक स्थिति के बीच सामंजस्य उत्पन्न होता है तो यही सामंजस्य बीमारी का मूल कारण बन जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए एक मात्र रास्ता होता है, जब मनुष्य देव भाव की स्थिति में होता है और नियमित रूप से अपने दैनिक जीवन में साधना को स्वीकार कर लेता है, तब उसके अंदर धीरे-धीरे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है। यह वह ऊर्जा है जिससे मनुष्य में हर रोग को ठीक करने की क्षमता भी जागृत होती जाती है।

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