सफल जीवन के लिए ये सूत्र आजमाएं
सफल जीवन के लिए ये सूत्र आजमाएं
इस संसार में दो प्रकार के लोग होते हैं:- एक वो जो अपने जीवन के लक्ष्यों के प्रति सदा गंभीर होते हैं और उनको पूरा करने के प्रयासों में पूरे मनोयोग से लगे रहते हैं। दूसरे प्रकार के लोग वो होते हैं जो अपने लक्ष्यों के प्रति बहुत लापरवाह और आलसी होते हैं। ये प्रमादी लोग अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं और लक्ष्य प्राप्ति के उचित प्रयास कभी नहीं करते। ऐसे ही व्यक्ति मृत्यु के समय बहुत दुःखी होते हैं क्योंकि मृत्यु को देखकर उनको अपने अधूरे लक्ष्यों की याद आती है जिसे वो अपने आलस्य के कारण पूर्ण नहीं कर सके और अपने जीवन के व्यर्थ हो जाने का अब उनको पछतावा होता है।
वहीं वो व्यक्ति जिसने अपने जीवन में स्वयं द्वारा निर्धारित प्रत्येक उद्देश्य की पूर्ति कर ली है वह मृत्यु को देखकर प्रसन्नता और संतोष अनुभव करता है क्योंकि उसने अपने जीवन का हर दिन अपने उद्देश्यों के साथ जिया, उनको पूर्ण करने की खुशी और संतोष को अनुभव किया। जिसको प्रेम करना था प्रेम किया, जिसको धन्यवाद करना था धन्यवाद किया, उसे जो कुछ भी अनुभव करना था वो अनुभव किया। अब सुख और संतोष के साथ वो मृत्यु को भी स्वीकार कर पाता है क्योंकि वह यही सोचता है कि जिस प्रकार उसने सब कुछ अनुभव किया उसी प्रकार अब भगवान को भी अनुभव करना है।

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