200 प्रतिशत जीवन जीने के लिए क्या करना जरूरी है?

 

200 प्रतिशत जीवन जीने के लिए क्या करना जरूरी है?
हमें जो यह जीवन प्राप्त हुआ है, यह बहुत ही अनमोल है। न जाने क्यूं हमें सिखाया जाता है कि मिच्योरटी (परिपक्वता) जीवन में समय के साथ ही आती है या ठोकर खाने के बाद आती है। लेकिन हम यह नहीं विचार करते कि जब हम गिरकर या ठोकर खाकर उठते हैं, तो हमारे अंदर बदलाव भी आ जाता है। हमारे अंदर विश्वास करने की क्षमता कम हो जाती है। इतना ही नहीं हम भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं और हमारी प्रेम करने की क्षमता भी थोड़ी कम हो जाती है। शिवयोग में कहा गया है कि मिच्योर (परिपक्व) होने के लिए गिरने की अवश्यकता नहीं होती। साधक साधना के माध्यम से और इम्मोर्टल्स के रास्तों पर चलकर भी एक छोटी सी आयु में बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है। क्योंकि एक शिवयोगी ही जीवन को दो सौ प्रतिशत जीता है। वह सफलता भी प्राप्त करता है तो पूर्ण रूप से ही करता है।

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